Completely Random
Random personal thoughts and musings
Sunday, January 22, 2012
वह
तेरी
याद
ही
थी
जो
मेरी
रूह
में
बसती
रही
वह
मेरा
इनकार
ही
था
जो
तेरे
ज़ेहन
में
थमा
रहा
न
तुझे
रहा
होश
के
मैंने
क्या
कही
न
मुझे
रहा
इल्म
के
तू
न
मेरा
रहा
वक़्त
का
दरिया
बह
कर
भी
थम
सा
गया
तेरे
आने
से
यादों
का
ही
मंज़र
रहा
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