Wednesday, July 13, 2016

बहुत कुछ सिखा चली है ज़िंदगी हमे
कभी हॅसा कर तो कभी रुला कर चली
कभी हसीन से ख्वाब दिखा कर
तो कभी ख्वाबों को बिखेर कर
चलाती रही है ज़िंदगी हमे
हर कदम पर यह एहसास रहा
हर मोड़ पर ख़ुसीयों का इंतेज़ार रहा
यूँ ही बहलाती फुसलती  चली
जब जब सोचा हमने
अब कर लिया इसे काबू में हमने
हंस कर हाथों से फिसल कर चली
हर पल यह ख़याल रहा हमे
कैसे कैसे नाच नाचती रही हमे
कल की यादों को धुँधला करती
कल के ख्वाबों को रोशन करती
हंसते हँसाते रोते रुलाते चली
बहुत कुछ दिखा चली है ज़िंदगी हमे